स्वनिधि: स्ट्रीट वेंडर्स हेतु एक नयी पहल

स्वनिधि: स्ट्रीट वेंडर्स हेतु एक नयी पहल

वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रोज़गार प्राप्त कर्मचारियों की संख्या 501 मिलियन है, जिसमें  41% कृषि, 26% उद्योग और 32% सेवा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। इनमें से 94% से अधिक असंगठित उद्यमों में संलग्न हैं, जिनमें सड़कों पर अस्थायी दुकान लगाने वाले फुटकर विक्रेता और छोटी- छोटी सेवा उपलब्ध करने वाले असंगठित श्रमिक भी शामिल हैं। सरकारी अनुमान के अनुसार कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रों में अनौपचारिक रोजगार में स्ट्रीट वेंडर्स की हिस्सेदारी 14% है। देश की मुख्य अर्थव्यवस्था एवं अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है, और इसमें असंगठित श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान है।

 

 

स्ट्रीट वेंडर दुनिया भर में शहरी अर्थव्यवस्थाओं का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जो सार्वजनिक स्थानों पर कई प्रकार की वस्तुएँ और सेवायें उपलब्ध करते हैं। वे ताज़ी सब्जियों से लेकर तैयार खाद्य पदार्थों तक, निर्माण सामग्री से लेकर वस्त्र और शिल्प तक, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद और ऑटो रिपेयर से लेकर हेयरकट तक सब कुछ बेचते हैं।  सहज और सस्ती सेवा उपलब्ध करा कर स्ट्रीट वेंडर शहरों की भाग दौड वाली जीवनशैली को सुगम बनाते हैं।

 

 

अनुमानतः भारत में 50-60 लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं, जिनमें ज्यादातर प्रवासी हैं।  दिल्ली मुंबई कोलकाता और अहमदाबाद जैसे महानगरों में इनकी संख्या सर्वाधिक है।  ये शहर की गति से जीवन को तो जोड़ते ही हैं, कई स्थानों पर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की आधारशिला भी माने जाते हैं। इनके पास स्थायी दुकान नहीं होती और ये आमतौर पर सडकों पर या जगह-जगह जा कर प्रतिदिन औसतन 10-12 घंटे काम करते हैं।  स्ट्रीट वेंडर्स केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों जैसे माल ढोने वालों, सुरक्षाकर्मियों, परिवहन और भंडारण की सुविधा मुहैया कराने वालों के लिए भी रोजगार का सृजन करते हैं। साथ ही लाइसेंस-परमिट, शुल्क-जुर्माना और कुछ अन्य करों के भुगतान के माध्यम से शहरों के लिए राजस्व की उगाही भी करते हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारी अर्थव्यवस्था में स्ट्रीट वेंडर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

 

वर्ष 2020 के प्रारंभ से ही कोविड-19 के कारण प्रवासी श्रमिकों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।  महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉक डाउन किया गया जिसकी वजह से स्ट्रीट वेंडर्स और ठेले पर सामान बेचने वाले अपने जीविकोपार्जन हेतु काम नहीं कर पा रहे हैं जिसकी वजह से 50 लाख से ज्यादा परिवार प्रभावित हुए| अधिकांश स्ट्रीट वेंडर अपने परिवार के आय के मुख्य स्रोत हैं।  महानगरों से पलायन की वजह से उनकी आजीविका तो गयी ही कुछ को तो जीवन से भी हाथ धोना पड़ा।  जिनका जीवन बचा रहा उनके पास जीविकोपार्जन का कोई स्रोत शेष नहीं है। इस संकट को देखते हुए स्ट्रीट वेंडर्स की आत्मनिर्भरता हेतु उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करने लिए 1 जून 2020 से स्वनिधि योजना का आरंभ किया गया।  

 

 

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत सर्कार द्वारा देश के छोटे सड़क विक्रेताओं को नए सिरे से अपना काम शुरू करने के लिए 10000/- रूपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जायेगा।  इच्छुक वेंडर, हॉकर, ठेले वाले, फलवाले आदि लाभार्थी जो इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो उन्हें इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट http://pmsvanidhi.mohua.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए स्ट्रीट वेंडर के पास निगम द्वारा जारी किया गया पहचान पत्र होना अनिवार्य है किन्तु स्ट्रीट वेंडर्स यदि पंजीकृत नहीं भी हैं तो वे स्वनिधि योजना के अंतर्गत ऑनलाइन तथा ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं।  आवेदक भारतीय निवासी होना चाहिए। आवेदन के साथ जरुरी  दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, बैंक खाता पासबुक, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो संलग्न करना आवश्यक है। आवेदन बैंक के माध्यम से भी किया जा सकता है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्तीय बैंक(Small financial bank), सहकारी बैंक, सूक्ष्म वित्तीय संस्थान (Micro Finance Institutions), स्व सहायता समूह (Self help group)बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां  इन सभी बैंकों से इस योजना के तहत कर्ज लिया जा सकता है। 

 

 

नाई, मोची, धोबी, कारीगर, फल –सब्जी, चाय-पकौड़े, पान की दूकानें, किताबें, स्टेशनरी आदि के ठेले लगाने वाले, फेरीवाले आदि स्वनिधि योजना के लाभार्थी हों सकते हैं।  इस योजना के माध्यम से छोटे-छोटे व्यापार करने वाले वेंडर की आर्थिक मदद होगी जिससे वह अपना काम जारी रख सकेंगे। साझा सेवा केन्द्रों (सीएससी) के जरिये आत्मनिर्भर निधि योजना के अंतर्गत फूटपाथ पर अस्थायी दुकान लगाने वाले छोटे कारोबारी 10,000/- रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं।  इस योजना के तहत खाते में पूरा पैसा तीन बार में आएगा यानि हर तीन महीने पर एक किश्त मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत प्राप्त ऋण राशि को लाभार्थियों को 1 साल के अंदर आसान किस्तों में अदा करना होगा।  समय पर ऋण चुकाने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को सात फीसदी का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते  में सरकार की ओर से जमा किया जाएगा। इस योजना के तहत ऋणी उद्यमियों को नियमित रूप से कर्ज का भुगतान करने पर प्रोत्साहन भी दिया जायेगा और डिजिटल लेनदेन पर पुरस्कृत भी किया जायेगा। साथ ही इस योजना में जुर्माने का भी कोई प्रावधान नहीं है।

 

 

योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने हेतु स्वनिधि योजना का ‘मोबाइल ऐप’ भी शुरू किया गया है, सड़क-विक्रेता स्मार्टफोन पर ऐप डाउनलोड और इंस्टॉल करके भी अपना खुद का रोजगार शुरू करने के लिए इस योजना के अंतर्गत आसानी से  आवेदन कर सकते है। पीएम स्वनिधि ऐप की सहायता से सड़क विक्रेता अपना ई-केवाईसी, ऋण आवेदनों का प्रसंस्करण, वास्तविक समय में निगरानी के साथ सहजता से सर्वेक्षण आंकड़ों में विक्रेता की खोज भी कर सकते है। अपनी सर्वेक्षण स्थिति की जाँच हेतु सभी जानकारी जैसे अपना नाम, पिता / पत्नी / पति का नाम, मोबाइल नंबर, राज्य का नाम, शहरी स्थानीय निकायों, वेंडिंग प्रमाणपत्र का क्रमांक आदि भरनी होगी। इसके बाद सड़क विक्रेता अपने सर्वेक्षण स्थिति की खोज कर सकते है।

 

 

आत्मनिर्भर भारत पैकेज में 50 हजार करोड़ रूपये का पैकेज भी निर्धारित किया गया था।  स्वनिधि योजना के अंतर्गत दिसम्बर 2020 तक 28.55  लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इस योजना के अंतर्गत 15.26 लाख आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। अब तक स्वनिधि योजना के अंतर्गत ₹7.88 लाख रुपए का कर्ज वितरित कर दिया गया है। राशि के हिसाब से दस हज़ार रुपये का ऋण बैंकों के लिए बहुत लाभप्रद व्यवसाय प्रतीत नहीं होता, किन्तु इस विषम परिस्थिति से समाज और अर्थव्यवस्था को बहार निकलने में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण हों जाती है। बैंकों द्वारा समाज के इस वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने में तत्परता दिखाने की आवश्यकता है।

 

 

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की शुरुआत आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में की गयी है।  इससे छोटे-छोटे गरीब फूटकर विक्रेता कोरोना संकट के काल और उसके पश्चात अपने कारोबार को नए सिरे से खड़ा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति दे सकेंगे।  कोरोना संकट के समय यह योजना प्रौद्योगिकी के उपयोग से स्वरोजगार के नए अवसर उत्पन्न करने के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने का काम करेगी। गरीब स्ट्रीट वेंडर्स को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने की दिशा में यह एक सकरात्मक प्रयास है जो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में सहायक सिद्ध होगा।

 

 

 

सरिता गुप्ता
मुख्य प्रबंधक,
स्टेट बैंक ज्ञानार्जन एवं विकास संस्थान, पटना 

About Author

Related posts

The Future of Digital Banking in India

introduction With the rise of digital banking in India, the banking landscape is undergoing a major transformation. Over the years, technological advances have transformed banking operations, making them more customer-centric, efficient and convenient. Services like mobile banking, AI-powered chatbots and real-time payments are redefining the way individuals and businesses...

Read More

Leave a Reply

Reset password

Enter your email address and we will send you a link to change your password.

Get started with your account

to save your favourite homes and more

Sign up with email

Get started with your account

to save your favourite homes and more

By clicking the «SIGN UP» button you agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Powered by Estatik